2025 Raksha Bandhan Kab Hai

"एक रिश्ते की डोर जो कभी नहीं टूटे" वो है - रक्षा बंधन 2025 अब आ गया है वो भी ढेर सारी खुशियों के 
साथ!" ये पवित्रा त्यौहार बहन-भाई के अनमोल बंधन को और भी मज़बूत और गहरा बनाता है। इस दिन राखी
बांध कर भाइयों की लंबी उमर और सुरक्षा की दुआ करते हैं, और भाई वादा करता है, आजीवन सुरक्षा की
प्रतिबद्धता। हर साल की तरह इस बार भी, रक्षाबंधन सेलिब्रेशन और राखी फेस्टिवल के ट्रेंडिंग हैशटैग में
शामिल हो जाओ। अभी अपने रिश्ते को मजाबूती से सेलिब्रेट करो - क्योंकि ये सिर्फ एक त्यौहार नहीं,
एक इमोशन है!



01) रक्षा बंधन 2025 का समय क्या है । / Rakhi tarik / Rakhi mahurth.02) रक्षा बंधन कैसे मनाये । 03) राखी किस हाथ में बांधना है। 04) Happy Raksha Bandhan. / Raksha Bandhan. / Rakhi २०२५। 05) Raksha Bandhan images 2025 । / Rakhi images. 06) रक्षा बंधन का पौराणिक मिथक / इतिहास इन सभी प्रश्न का उत्तर निचे दिया गया है ।

01) रक्षा बंधन 2025 का समय और तारिक / राखी का महूर्त / राखी का तारिक : : 09 अगस्त 2025  — राखी बांधने का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक । इस काल में राखी बांधना अच्छा है । ये अच्छा महूर्त है।

02) रक्षा बंधन कैसे मनाये : राखी या रक्षा बंधन हिन्दूवो ने बड़े त्यौहार के रूप में मनाया जाता है । इस में राखी को बहन ने भाई को बान्दति है । ये मुख्य रूप से भाई बहन का त्योहार माना जाता है । इस से भाई बहन का रिस्ता और गहरे होता है । और एक दूसरे के संकट काल में एक दूसरे को सहायता एवं रक्षण करने का वादा कर के निभाते है । इस से उनका अनुबंध और मजबूत होता है । पहले घर में देवतावो का पूजा कर के, बाद में आरती में दीप को जलाते हुए भई के माते पर सिंदूर तिलक लगाकर , भई का आरती उतार के, हाथ मैं राखी या रक्षा धागा बाँधकर ,भाई को मिटाई खिला कर , उपहार देते है । भाई ने बहन को तोफा देकर उसको आशीर्वाद देकर , सुरक्षा का वादा करता है। घर में सभी लोग मिटा खाना काकर , सम्भ्रम से रक्षा बंधन मनाते है । .

राखी या रक्षा बंधन भारत के मुख्या त्यौहार में एक अनोंका त्यौहार माना जाता है ।

India या भारत देश में ज्यादातर हिस्सों में उत्साह पूर्ण से मनाया जाता है. .

03) राखी को किस हाथ में बांधना है : राखी को दांया हाथ में बांधे जाता है ।

04) Happy raksha bandhan : रक्षा बंधन : भारतीय संस्कृति और धर्म के अनुसार श्रावण माह में पूर्ण चंद्र के दिवस यानि पूर्णिमा ( Full Moon Day ) के अवसर फर ये त्यौहार भाई बहनों, घर के सभी सदशय गण , रिश्तेदारओं के साथ मिल के धूम – धाम से आनंद पूर्ण उत्साह से मनाये जाता है। रक्षा बंधन :– इस साल में 2025 , 09 अगस्त  ये दिन मनाया जा रहा है। इस दिन में बहन भाई को राखी या रक्षा का दग़ा बांधते है । आज कल, भाई भी बेहन को राखी बाँध रहा है । ये भाई और बेहन में एक दूसरे की रक्षा करने का वाधा कर के निभाते भी है । और एक दूसरे के कस्ट काल में सहायता करते है। और भगवान से उनका उन्नति , श्रेयोभिलाषा , आरोग्य कामनाएं करते हुए भगवान का पूजा करके , प्रसाद लेकर, उनका आशीर्वाद , और मन्नत भी मंगाते है । ये रक्षा या राखी बंधन , भाई – बहिन का अनोका रिश्ते , को मजभूत बनाने का त्यौहार माना जाता है । . रक्षा बंधन का अर्थ :— रक्षा का मतलब सुरक्षा ही है। और बंधन का अर्थ , मतलब जोड़ना है । भाई बहिन एक दूसरे की सुरक्षा करना ही है ।

05) Raksha Bandhan images 2025 :-– ये राखी कच्चे दागे से लेकर रंगीन दागे या रेशमी दागे या विविधता का सजावट , बनावट और रूप रेखा से आकर्षणीय रंगो का दागे का गुच्छा से बांध कर बी कराया जाता है । और अमिर लोग राखी को सोना और चांदी से बनवाकर , सजावट करते है। राखी को बहुत प्यार से बंधा जथा है ।

06) रक्षा बंधन का पौराणिक मिथक : — महाभारत ( आध्यात्मिक, पुराण ) के काल में. जभ सुदर्शन चक्र ने भगवान श्री कृष्णा का हाथ को थोड़ा काटता है । तभी उनका बहिन द्रौपदी ने अपना साड़ी को थोड़ा काट कर उस कपडे से श्री कृष्णा का हाथ का गाव में बांध थी है । उस समय बहन द्रौपदी का वात्सलय पूर्णता को देखर बगवान श्री कृष्णा का मन उभर आता है . बहन द्रौपदी से वादा करता है की, उसका संकट काल में रक्षण करने का वादा करता है । और जब कौरव के आस्थान में वो लोग , जनबरी सभा में द्रौपदी का वस्त्र अपहरण करते समय , द्रौपदी ने अपने को बचवाने के लिए कृष्ण को पुकारती है । तब श्री कृष्ण भगवान ने अदृश्य रूप में आकर द्रौपदी को अपना सहाय हस्त दिखाकर, माया जाल से बहुत सारे साड़ियों का भांडार को प्रधान करके द्रौपदी को, अफमान होने से बचाता है।इस दृश्य के बाद रक्षा बंधन का उदय हुआ ऐसा माना जाता है । इस राखी या रक्षा बंधन के शुभ अवसर पर आप सभी वाचको को शुभ कामनाये देते हुवे, सभी का उन्नति और मंगल चाहते हुवे, ये लेखन सम्पूर्ण होता है। । अगले लेखन में फिर मिलेंगे । । शुभमस्तु ।

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